श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी, हे नाथ नारायण वासुदेवा
आरती कुंज बिहारी की, श्री गिरीघर कृष्ण मुरारी की
गोविन्द बोलो हरी गोपाल बोलो, राधा रमण हरी गोविन्द बोलो,
छोटी छोटी गैया, छोटे छोटे ग्वाल । छोटो सो मेरो मदन गोपाल ॥
मीठे रस से भरीयो री, राधा रानी लागे।
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे, हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
अच्चुतम केशवं कृष्ण दामोदरं , राम नारायणं जानकी वल्लभं
मेरा आपकी कृपा से सब काम हो रहा है , करते हो तुम कन्हैया, मेरा नाम हो रहा है
श्री बांके बिहारी तेरी आरती गाऊं, हे गिरिधर तेरी आरती गाऊं ।
यशोमती मैया से बोले नंदलाला राधा क्यूँ गोरी? मैं क्यूँ काला?